Varna vyavastha
Jan 28, 2017, 02:44 PM
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‘‘वर्ण-व्यवस्था’’- वर्ण के नाम पर आज समाज में असमानता, ऊँच-नीच, बिखराव, घृणा, भेदभाव प्रचलन में है जबकि गीता के अनुसार एक परमात्मा ही सत्य है। उसे प्राप्त करने की नियत विधि यज्ञ है। उस यज्ञ को चरितार्थ करना कर्म है। इस एक ही कर्मपथ को चार श्रेणियों में बाँटा गया है जिसे वर्ण कहते हैं। यह साधना का बँटवारा है न कि मनुष्य का ! एक ही साधक की नीची-ऊँची अवस्था है।
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