प्रेस की आज़ादी के सबसे बड़े पैरोकार रामनाथ गोयनका
Apr 21, 2017, 11:45 AM
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भारत में प्रेस की आज़ादी के लिए रामनाथ गोयनका से बड़ी लड़ाई शायद ही किसी ने लड़ी हो. इमरजेंसी के दौरान लालकृष्ण आडवाणी के शब्दों में, ‘ जब पत्रकारों से झुकने के लिए कहा गया तो वो दंडवत हो गए.’ लेकिन एक्सप्रेस समूह के संपादक रामनाथ गोयनका इसके अपवाद थे. उन्होंने लोकतंत्र और लोकमत की लड़ाइयाँ इसलिए लड़ी, क्योंकि इस तरह लड़ने को वो अपना धर्म मानते थे. रामनाथ गोयनका की 113वीं जयंती पर उन्हें याद कर रहे हैं रेहान फ़ज़ल आज की विवेचना में
