आंदोलनकारी किसानों की कहानी अलग-अलग, लेकिन दुख-दर्द एक है
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बारहों मास अपना खून-पसीना एक कर, अनाज उगाकर सबका पेट भरने वाले किसानों की दुर्दशा देख भला किसकी आंखें नम न हो जाएं. महाराष्ट्र के आंदोलन में शामिल किसानों के घर-आंगन की कहानियां भले ही अलग हो, पर ये सारे एक ही तरह की तकलीफ से गुजर रहे हैं. इतनी बड़ी तादाद में किसानों के एकजुट होकर आवाज उठाने की ये एक बड़ी वजह है. क्विंट ने कुछ आंदोलनकारी किसानों से बातचीत कर उनका दुख-दर्द जाना. महाराष्ट्र सरकार से किसानों की पूर्ण कर्जमाफी की मांग को लेकर नासिक से 6 मार्च को चला किसानों का मोर्चा सोमवार सुबह तड़के ही मुंबई पहुंच गया था. किसानों के इस मार्च में आदिवासी किसान भी बड़ी संख्या में शामिल हैं. जो पिछले कई पीढ़ियों से वन विभाग की जमीन पर खेती कर रहे हैं. लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी सरकार इन्हें जमीन का मलिकाना हफ देने को तैयार नहीं. सरकार से ये हक हासिल करने के लिए कई किसान नासिक से 200 किलोमीटर पैदल चलकर मुंबई पहुंचे.
